मेरे चीथड़ोंसे
चूते पसीने की
गंध तुम सह नहीँ पाओगे
कीचड़ से सने
पैर
कईं सफेदियों पर ग्रहण लगा देंगे। इसलिए तुम
मेरे पास मत आओ
मुझे रहने दो
असुविधा के इस रौरव मेँ
रहने दो कुभीपाक में अभी
क्योंकि
तुमने अंबेडकर को भी
कोट ओर पतलून पहनाकर
मेरी जात से छीन लिया है/
अब मैं नहीँ आना चाहता
तुम्हारे साथ
क्योंकि
मुझे पता है, तुम्हारे साथ जो गया/
वह बदजात हो जाता है/
राजधानियों की रंगीनियों मेँ डूबकर
वह केवल सपनों का सौदागर हो जाता है इसलिए मैं
सबको ठुकराता हूँ/
नकारता हूं सबको/
कि मेरी पीड़ा को भी तुम/
अपने विज्ञापन के अवसर के रुप मेँ लेकर/
बस मेरा मजाक उड़ाओगे/
मैं तपूंगा और/
इस नरक की आग मेँ/
अब न छला जाऊंगा तुम्हारे ईश्वर से भी/ क्योंकि जिसे
जिसे मैंने अपना कहा/
चालाक तुम लोगों ने/
उसे ईश्वर बनाकर पूज दिया/
बैठा दिया गर्भगृह मेँ कैद करके/
मंत्रों की आवृत्तियों के जाल में उलझा तुम्हारा ईश्वर भी/
मेरी हाय से बच न सकेगा/
मेरी सड़ांध भरी जिंदगी को जब तक तुम्हारा ईश्वर न सीकारेगा/
बच नहीँ सकता/
यह सब होगा/
अगली क्रांति की सुबह/
............29,08,2014
चूते पसीने की
गंध तुम सह नहीँ पाओगे
कीचड़ से सने
पैर
कईं सफेदियों पर ग्रहण लगा देंगे। इसलिए तुम
मेरे पास मत आओ
मुझे रहने दो
असुविधा के इस रौरव मेँ
रहने दो कुभीपाक में अभी
क्योंकि
तुमने अंबेडकर को भी
कोट ओर पतलून पहनाकर
मेरी जात से छीन लिया है/
अब मैं नहीँ आना चाहता
तुम्हारे साथ
क्योंकि
मुझे पता है, तुम्हारे साथ जो गया/
वह बदजात हो जाता है/
राजधानियों की रंगीनियों मेँ डूबकर
वह केवल सपनों का सौदागर हो जाता है इसलिए मैं
सबको ठुकराता हूँ/
नकारता हूं सबको/
कि मेरी पीड़ा को भी तुम/
अपने विज्ञापन के अवसर के रुप मेँ लेकर/
बस मेरा मजाक उड़ाओगे/
मैं तपूंगा और/
इस नरक की आग मेँ/
अब न छला जाऊंगा तुम्हारे ईश्वर से भी/ क्योंकि जिसे
जिसे मैंने अपना कहा/
चालाक तुम लोगों ने/
उसे ईश्वर बनाकर पूज दिया/
बैठा दिया गर्भगृह मेँ कैद करके/
मंत्रों की आवृत्तियों के जाल में उलझा तुम्हारा ईश्वर भी/
मेरी हाय से बच न सकेगा/
मेरी सड़ांध भरी जिंदगी को जब तक तुम्हारा ईश्वर न सीकारेगा/
बच नहीँ सकता/
यह सब होगा/
अगली क्रांति की सुबह/
............29,08,2014