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Thursday 6 April 2017

बुरांश और नौनि

बुरांश
तुम पहाड़ों पर उगा
उनका हृदय हो!
सुर्ख लाल
धड़कता हुआ!

जैसे दूसरा धड़कता है
पीठ पर घास और लकड़ियों का
गट्ठर लादे,
पहाड़ी रास्तों पर कुँलाचे भरता,
पहाड़ों के बीच।

तुम दो ने पहाड़ों को
अमर कर दिया है!

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गजेन्द्र