।।1।।
नदी का उद्गम/
न जाने कब से खोज रहा हूँ/
संभवतः सदियों से/
जितनी कि मेरी उम्र भी नहीं/
मगर मै खोज रहा हूँ बाहर और अपने भीतर भी/
नदी को बहते देखना /
मेरी नियति /
और नदी हो जाना /
मेरी इच्छा.
।।2।।
नदिया कहती रही
मैंने नहीं सुना
सहती रही
चुपचाप
व्यथा औरों की/
ढोती रही पाप पंक
जग के/
जो उसने नहीं किये
उन्हें भी स्वीकारा
और बहती रही/
चुपचाप
युगों युगों की अनकही कथा
कहती रही/
क्या तुमने सुना या गुना?
मै सुनता हूँ गुनता हूँ
इसीलिए बुनता हूँ यह छंद/
स्वीकारता हूँ सभी पाप-पंक
जो विसर्जित किये कभी
अर्ध्य की अंजुरी गहता हूँ, गहता हूँ/ 10-09-2011
नदी का उद्गम/
न जाने कब से खोज रहा हूँ/
संभवतः सदियों से/
जितनी कि मेरी उम्र भी नहीं/
मगर मै खोज रहा हूँ बाहर और अपने भीतर भी/
नदी को बहते देखना /
मेरी नियति /
और नदी हो जाना /
मेरी इच्छा.
।।2।।
नदिया कहती रही
मैंने नहीं सुना
सहती रही
चुपचाप
व्यथा औरों की/
ढोती रही पाप पंक
जग के/
जो उसने नहीं किये
उन्हें भी स्वीकारा
और बहती रही/
चुपचाप
युगों युगों की अनकही कथा
कहती रही/
क्या तुमने सुना या गुना?
मै सुनता हूँ गुनता हूँ
इसीलिए बुनता हूँ यह छंद/
स्वीकारता हूँ सभी पाप-पंक
जो विसर्जित किये कभी
अर्ध्य की अंजुरी गहता हूँ, गहता हूँ/ 10-09-2011