कुछ लोग
जन्मांध है/
न देखने
कसम खाने का
प्रश्न ही कहाँ उठता है/
परन्तु
स्वप्न देखने की मनाही
कभी
किसी काल,
युग
और देश में
कभी नहीं रही
इसलिये
देख रहे है
निर्बाध....स्वप्न....दिवा स्वप्न.... 30/10/1999 ---------xtsUnz ikVhnkj
|| फिरा दो मुनादी ||
फिरा दो मुनादी
कि स्वप्न
मैंने देखे है
राम राज्य के
इस रौरवी धरा पर
अभिव्यक्ति स्वातन्त्र्य पर
कुछ गूंगे मुखर है
न्याय की देवी की आँखों पर बंधी पट्टी
कानो को भी कसे हुए है। ---------xtsUnz ikVhnkj