हर सड़क रोम की ओर जाती है,
तो बहुत बुरी है सड़क।
क्यों ले जाना चाहती है सबको?
क्या सभी का साध्य एक है?
नहीं हीं।
सभ्यता का चरम यदि घोषित कर चुके हो!
तो समझ लो कि
सड़क साधन है केवल,
रोम की विपरीत दिशाएँ भी
आबाद रहती रही है!
जीवन रोम की तरह टीवी का
'सोप-ऑपेरा' नही है।
मैं रोम से लौटती सड़क का
राही हूँ!
तुम्हारा रोम तुम्हे मुबारक हो!
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- गजेन्द्र पाटीदार