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Wednesday 6 March 2013

ताल, तीर, बक और मछली

ताल के तीर पर
भ्रमित बक
समतल जल पर
निरख  कर प्रतिबिम्ब
अठखेलियाँ करता है,
खुद से / कभी
कभी
जल के भीतर
अठखेलियाँ करती मछली
को देखकर
फुदक कर मारता है चोंच
और खेलता है
मछली से,
इस तरह
ताल,
तीर,
बक
और मछली
माया का संसार रचते है/
भूख और भ्रम
सब जगह माया का संसार
रचते है…