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Friday 21 April 2017

प्रेम का उत्ताप

अपनी सीमाओं में ही सही,
सूरज पास आता है
धरती पर ताप
बढ़ जाता है।

वैशाखी दुपहरी में
हमारा हाहाकार
सूरज को सिर पर उठाता सा।

कभी सूरज को धरती के पास
आने पर कितनी ठंडक मिलती है?
यह भी चिन्हना
किसी विरही के पास बैठकर।

- गजेन्द्र पाटीदार

Thursday 20 April 2017

सूरज पर कब्जा

लोहार यूं ही चिल्लाता रहा
लोहे की तपन।
लोहे को ऐंठ देने की कला पर
ऐंठता रहा!
घोड़ा
जुगाली करते हुए
लगाम को उगालता रहा।
भले उसकी हर कोशिश बेमानी थी।
मैं उलझता रहा लगाम की जुगाली पर।

खुरों में नाल ठुकने के
दर्द पर मेरा ध्यान ही नहीं गया!
मुझे तो बस उसे
विजेता दौड़ के लिए
हांकना था।
जो खुरों और नाल के बीच
उलझी हुई थी!

खुरों में ठुँकती कीलों की नोक
और
लोहारिन के खून से रिसते लोहे की,
कमी से चुभती कीलों का
दर्द वैसा ही था!

इसके बावजूद ऐंठ जारी है,
भट्टी और धौकनी के बल पर
सूरज को कब्जाने की
कोशिश में
नए तर्क गढ़े जा रहे हैं
कि हमारी पीढ़ियां
पूजती आई है तब से जब से
सूरज ने चमकना शुरू किया है!

Thursday 13 April 2017

मंगली फोई

उसे नही पता कि
उसका देश कितना बड़ा है?
उसे यह भी नही पता कि
संसार भर में कितने देश है?
काले और गोरे का
भेद भी उसे नहीं पता!

बकरियां चराते कब जवान हुई
पता न चला?
कब बच्चे बड़े होकर अपनी
गिरस्ती के साथ पलायन कर गए
पता न चला?

अभी भी वह है
अपनी टूटी छपरैल की चौकीदार!
अभी मौजूद है आँखों में,
इस विरान के खुशहाली से लहलहाने के सपने!

वह आशाओं का मजबूत खण्डहर,
अपनी दरारों में उगते बीजों से,
हरियल होते मौसम पर भी खुश है।

खुशियां कभी कभी
बहुत दारूण होती है।

Thursday 6 April 2017

बुरांश और नौनि

बुरांश
तुम पहाड़ों पर उगा
उनका हृदय हो!
सुर्ख लाल
धड़कता हुआ!

जैसे दूसरा धड़कता है
पीठ पर घास और लकड़ियों का
गट्ठर लादे,
पहाड़ी रास्तों पर कुँलाचे भरता,
पहाड़ों के बीच।

तुम दो ने पहाड़ों को
अमर कर दिया है!

______
गजेन्द्र

Monday 27 March 2017

ऑल रोड्स लीड टू रोम?

हर सड़क रोम की ओर जाती है,
तो बहुत बुरी है सड़क।
क्यों ले जाना चाहती है सबको?
क्या सभी का साध्य एक है?
नहीं हीं।

सभ्यता का चरम यदि घोषित कर चुके हो!

तो समझ लो कि
सड़क साधन है केवल,
रोम की विपरीत दिशाएँ भी
आबाद रहती रही है!

जीवन रोम की तरह टीवी का
'सोप-ऑपेरा' नही है।

मैं रोम से लौटती सड़क का
राही हूँ!
तुम्हारा रोम तुम्हे मुबारक हो!
_________

- गजेन्द्र पाटीदार