देखता हूं रक्त में प्रवाह
समय से आगे
जैसे
ठहर गया हो समय
और
रक्त धमनी और शिराओं की सीमा
लांघ कर
बहना चाहता है
उन्मुक्त/
रक्त का अवरोध जीवन है?
या रक्त से विरक्त
होकर बह निकलना
होना विदेह
या दुनिया से विरत!
जीवन की सीमाओं से परे
देह और रक्त के संबंधों से विलग
जीवन है निस्सीम!13-12-2014
समय से आगे
जैसे
ठहर गया हो समय
और
रक्त धमनी और शिराओं की सीमा
लांघ कर
बहना चाहता है
उन्मुक्त/
रक्त का अवरोध जीवन है?
या रक्त से विरक्त
होकर बह निकलना
होना विदेह
या दुनिया से विरत!
जीवन की सीमाओं से परे
देह और रक्त के संबंधों से विलग
जीवन है निस्सीम!13-12-2014