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Friday 26 December 2014

घास

घास
घास जानवर के लिये
भोजन का जरिया है।

आदमी के लिये
टहलने का
भोजन पचाने का
क्षणभर ठहर कर सुकून का।

किसान के लिये
आफत है
जो चौपट कर देती है फसल
बिकवा देती है खेत
इसलिये निरंतर उसके
विरूद्ध युद्ध जारी है किसान का।

इस तरह जानवर, आदमी और किसान
को
अलग करती है घास
किसी को भोजन
किसी को विचरण
किसी के लिये मरण का जरिया बन।

पर कुछ और भी है जिनके लिये
सब कुछ है
जैसे कीट - पतंगे,
जिनके लिए
जनम, भोजन, विचरण और मरण
सब कुछ

मगर धरती की सोचो
घास धरती के लिये
उर्वरता है
सतत लड़कर मरूथल के साथ

घास हीं जीवन का क्रम सिरजती है।