भाषा ही तो संबंधों का श्रीगणेश है.
भाषा ही तो भावों का परिवेश है.
भाषा ही तों मानवता की जननी है.
भाषा ही तो कथनी है और करनी है.
भाषा से ही आशा और आशा से भाषा.
भाषा ही है भूख और भाषा ही पिपाशा.
भाषा ही तो कृति है, भाषा ही है वृत्ति.
भाषा से संस्कार और भाषा से ही संस्कृति.14-12-2011
भाषा ही तो भावों का परिवेश है.
भाषा ही तों मानवता की जननी है.
भाषा ही तो कथनी है और करनी है.
भाषा से ही आशा और आशा से भाषा.
भाषा ही है भूख और भाषा ही पिपाशा.
भाषा ही तो कृति है, भाषा ही है वृत्ति.
भाषा से संस्कार और भाषा से ही संस्कृति.14-12-2011