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Wednesday 14 December 2011

भाषा और जीवन

भाषा ही तो संबंधों का श्रीगणेश है.
           भाषा ही तो भावों का परिवेश है.
भाषा ही तों मानवता की जननी है.
          भाषा ही तो कथनी है और करनी है.
भाषा से ही आशा और आशा से भाषा.
          भाषा ही है भूख और भाषा ही पिपाशा.
भाषा ही तो कृति है, भाषा ही है वृत्ति.
          भाषा से संस्कार और भाषा से ही संस्कृति.14-12-2011