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Sunday 12 October 2014

रोप-वे—गजेंद्र पाटीदार

मुझे मालूम है
मृत्यु जीवन का
अनिवार्य
और
अंतिम सत्य है/
फिर भी
मृत्यु के विरूद्ध
जीवन
कितने षड़यंत्र करता है?
मुझमें भी
अमरत्व की भूख
इतनी बढ़ चुकी है कि
मरना भूल चुका हूँ/
अमरता भूख है
और मौत भय/
(भय को भुलाना
भी षड़यंत्र है)
भय को भूलना
जरूरी है,
संभवत:
जीवन की मजबूरी/
इस तरह
भय और भूख
के बीच
जीवन
'रोप-वे'/
                      दि.12-10-14