मन के भाव शब्दों में ढलकर जब काव्य रूप में परिणित होकर लेखन की भूमि पर बोये जाते है, तो अंकुरित हरितिमा सबको मुकुलित करती है! स्वागत है आपका इस काव्य भूमि पर.....।
काव्य भूमि मेरे मन की हलचल और जन जीवन की समसामयिक समता विषमता पर उठते प्रश्नों और उत्तरों का लिप्यांकन है। किसान हूँ और भूमि पर अन्न और कपास उगाना मेरा कर्म है, इस भूमि पर भाव उगाता हूँ ।