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Wednesday 27 August 2014

गिलहरी

गाँव की कच्ची सड़क पर
दौड़ते दुपहिया वाहनों
और आवाजाही के बीच
अपने लिए दानें जुटाना
एक गिलहरी के लिए
कितना बड़ा काम है?
कि इसके लिए प्राणों की
आहुति देनी पड़ती है
उस गिलहरी को/
खतरा देखते हीं
नीम की पुरानी खोखर मेँ
विलुप्त हो जाना
उस गिलहरी का/
काश सेतु बांधनें के
अकिंचन कार्य के पुरस्कार में
मिली पीठ की तीन धारियों
की जगह उसनें मांग लिये होते
दो पंख!
बना दिया
बगैेर पंखों का पंछी
उस गिलहरी को/
ऐसा सोचती है गिलहरी
जब कभी नवजात
असुरक्षित हो/
और कभी
दौड़ती कच्ची सड़क के बीच
दाना ढूँढने की कोशिश
जान हीं ले ले/
तो नीम की खोखर मेँ
क्या करेंगें नवजात?
सोचती है गिलहरी /
इसीलिए दौड़ती सड़क की दुर्घटना में
मर कर भी एक सोच
दे जाती है
गिलहरी
नन्हीं परी सी/
            11,08,2014