मन के भाव शब्दों में ढलकर जब काव्य रूप में परिणित होकर लेखन की भूमि पर बोये जाते है, तो अंकुरित हरितिमा सबको मुकुलित करती है! स्वागत है आपका इस काव्य भूमि पर.....।
छोटा आदमी हाड़ तोड़कर अपने पसीने से पैसा बनाता है!
बड़ा आदमी पैसा नहीं बनाता पैसा बड़ा आदमी बनाता है
छोटा आदमी पैसा बनाने में छोटा हीं रह जाता है!