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Monday 8 September 2014

अर्थसंकोच - गजेंद्र पाटीदार

एक ने कहा 'राम'
दूसरे ने 'मंदिर' समझा
कबीर! बपुरा!!
ढाई आखर के फेर में
क्या करता?
—'टीका'

जब शब्द और अर्थ
मृत्यु शय्या पर
तड़पते हों,

जब 'संप्रदाय' शब्द में
सड़े गले मुर्दे की
गंध महसूसने लगे

तब मानना होगा
लोगों की घ्राण शक्ति
शब्दों की उपज है/