सफेद पोश बगुला
यदि मछलियाँ खाता है
तो सिस्टम है
लेकिन
मछलियां क्रांति कर दे
अपनी आत्मरक्षा के लिये
तो
बगुले की भूख के विरूद्ध यह
षड़यंत्र है।
इसलिये
नभचरों के हित में
सेक्युलर स्थलचरों की
जलचरों के विरूद्ध
आवाज है
जहाँगीरी घंटा तैयार है
बजने के लिये/
तैयार हो जाओ ओ शासक
तख्ता पलट कभी भी
हो सकता है।
संविधान में प्रदत्त
भोजन का अधिकार नभचरों पर
(हीं) लागू है!
03:09:2014
मन के भाव शब्दों में ढलकर जब काव्य रूप में परिणित होकर लेखन की भूमि पर बोये जाते है, तो अंकुरित हरितिमा सबको मुकुलित करती है! स्वागत है आपका इस काव्य भूमि पर.....।