ईजराइल की तोपों की
दहाड़ से पैदा मौतों के
रक्तबीज
अखबार के पन्नों
और टीवी स्क्रीन के
माध्यम से
मेरे घर तक पहुँचकर
डरा रहे है मेरी कोमल भावनाओं को/
इराक की नृशंसता भी
वैसे हीं
और उतने हीं
रक्तबीज पैदा करती है/
आहत करती है सभी
मानवता के पक्षधरों को/
लेकिन कुछ पक्षधरों की चीख
कभी तो
आसमान उठा लेती है/
और कभी मिमीया जाती है
बली में कटते मेंमने की तरह /
मौतों में फर्क क्यों करते है?
ये थर्ड एम्पायर ।
मन के भाव शब्दों में ढलकर जब काव्य रूप में परिणित होकर लेखन की भूमि पर बोये जाते है, तो अंकुरित हरितिमा सबको मुकुलित करती है! स्वागत है आपका इस काव्य भूमि पर.....।