कल्पना के स्खलित होते शिखरों की
नग श्रंखला
बिम्ब]
शिल्पी की कुण्ठित छेनियाँ]
प्रतीक]
प्राचीन प्राचीरों के ढूह] खंडहर
किस सौन्दर्य शास्त्र को गढ़ेगी कविता]
प्रास और अनुप्रास के
अनुबंध को कर अस्वीकार
रूपकों के तोड़कर विग्रह
छंद को स्वच्छंदता की सान पर घिसकर
व्याज और निर्व्याज
के सम्बन्ध को कर दर किनार
भावों की कविता चिड़ियाँ उड़ेगी।