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Tuesday 6 December 2011

मैं हूँ (- गजेन्द्र पाटीदार)

काल के भाल पर
जीवन का हस्ताक्षर हूँ/
श्लथ हूँ, चुका हूँ,
क्षत और विक्षत हूँ/
अपने होने की सभी सम्भावनाओ के साथ
अपने अदम्य साहस
और निष्ठा के साथ
प्रतिष्ठित भी हूँ/
अपने अनिमेष नेत्रों से नवोन्मेष का स्वप्न दृष्टा भी हूँ/
अपने करों से
सर्जना के बिंब गढ़ता,
वर्जना की सीढ़िया  चढ़ता सृष्टा भी हूँ/ 05-12-2011